कच्चातिवु द्वीप के स्वामित्व को लेकर फिर विवाद

कच्चातिवु द्वीप के स्वामित्व को लेकर फिर विवाद

लोकसभा चुनावों की  तिथियां घोषित होने से काफी पहले ही तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल द्रमुक के नेताओं ने इस बात को साफ कर दिया था कि वे इन चुनावों में कच्चातिवु द्वीप पर फिर से भारत का स्वामित्व जताने को वे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाएंगे।

लोकसभा चुनावों की  तिथियां घोषित होने से काफी पहले ही तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल द्रमुक के नेताओं ने इस बात को साफ कर दिया था कि वे इन चुनावों में कच्चातिवु द्वीप पर फिर से भारत का स्वामित्व जताने को वे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाएंगे। इसके चलते इस द्वीप  के स्वामित्व आधा शतक पुराना  विवाद के एक बार फिर सुर्खियों  में आ गया है। यह मांग जोरों से हो रही है कि केंद्र में बीजेपी  की सरकार को यह द्वीप श्रीलंका से वापस लेने  के मामले पर अपनी नीति साफ करनी चाहिए।

तमिलनाडु में बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस सहित सभी दल तमिल  राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे को राजनीतिक रूप  से आगे रखते हैं। यों कहना चाहिए कि ये सभी दल  तमिल राष्ट्रवाद के मामले पर एक हैं। कच्चातिवु द्वीप पर स्वामित्व का विवाद ब्रिटिश समय से ही भारत और श्रीलंका के बीच चला आ रहा है। पाक जलडमरू स्थित और लगभग  285 एकड़ क्षेत्रफल में फैला यह  निर्जन द्वीप समुद्र के बीचों-बीच है। भारत के रामेश्वरम तट से यह द्वीप 14 समुद्रीय मील दूर है। इसी प्रकार श्रीलंका के समुद्र तट से भी इसकी दूरी भी लगभग इनती ही है। इसी के चलते दोनों देश इस पर पाना मालिकाना हक जताते रहे है। सदियों से दोनों देशों के मछुवारे समुद्र के इस इलाके  में मछलियां पकड़ने के लिए अपनी नौकाओं से आते रहे हैं। इस द्वीप की भौगोलिया स्थिति के चलते दोनों देशों के मछुवारे अपने जालों को सुखाने लिए यहां आते रहे हंै। कई बार वे पकड़ी गई मछलियों को भी यहां सुखाने के लिए डालते रहे हैं। चूंकि दोनों देश इस द्वीप और समुद्रीय इलाके को अपना मानते हैं। इसलिए एक दूसरे के देश के मछुवारों को पकड़ लिया जाना आम बात थी।

1974 में पता नहीं किन कारणों के चलते भारत ने यह द्वीप श्रीलंका को देना मान लिया। उस समय इंदिरा गांधी  देश की प्रधानमंत्री थी। भारत की और से सहमति पत्र पर  भारत की ओर से उन्होंने ही हस्ताक्षर किए थे। इसको लेकर   इंदिरा गांधी और उनकी कांग्रेस सरकार की आलोचना हुई थी। इसके लिए न तो संसद से अनुमति ली गई और न ही  कोई वैधानिक प्रक्रिया अपनाई गई। सरकार की ओर से यह साफ किया गया कि भारत ने श्रीलंका को इस द्वीप प्रभुत्व नहीं दिया गया है और न ही श्रीलंका को पूरी तरह से सौंपा है। हां, श्रीलंका द्वारा इसके उपयोग किए जाने को मान लिया गया है। बहुत  बाद में  इस सारे  मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, जहां अभी मामला लंबित है।

लगभग दो महीने पहले श्रीलंका ने इस समुद्रीय क्षेत्र में  आधा दर्जन भारतीय  मछुवारों के यह कहते हुए गिरफ्तार कर लिए कि वे श्रीलंका के क्षेत्र में अवैध रूप से नौकाओं से मच्छिलयां पकड़ रहे थे। भारत सरकार ने श्रीलंका से  इन भारतीय मछुवारों को रिहा करने का आग्रह किया। लेकिन श्रीलंका सरकार ने न केवल उन्हें छोड़ने से इंकार कर दिया, बल्कि उनके खिलाफ  मामले दर्ज भी दर्ज कर दिए। इनमें से कुछ को तो सजा भी हुई। इस मामले को    तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधानमंत्री स्तर पर उठाया। विदेश मंत्रालय ने दबाव बनाया, लेकिन इसका भी श्रीलंका पर कोई असर नहीं हुआ।

Read More International Nurses Day : इंसानी सेवा की अथक मिसाल हैं नर्सें

इस निर्जन द्वीप पर  सौ साल से भी अधिक पुराना एक चर्च है। यहां फरवरी के तीसरे सप्ताह दोनों देशों के मछुवारे,  जो अधिकतर ईसाई हैं। बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। यह समारोह पांच दिनों तक चलता है, 1974 तक इस चर्च का नियंत्रण तमिलनाडु के चर्च संघ के पास था। दोनों देशों के बीच बनी सहमति के बाद इस चर्च का नियंत्रण श्रीलंका का तमिल बाहुल इलाके जाफना के चर्च संघ को दे दिया गया। कई फैसले से रामेश्वरम के आसपास रहने वाले  ईसाई समुदाय ने किया।

Read More इजरायल : जरूरी हुआ तो नाखूनों की मदद से लड़ेंगे !

इस बार फरवरी में पहला अवसर था कि चर्च के इस वार्षिक समारोह में भारतीय ईसाई मछुवारों ने भाग लेने से इंकार कर दिया। उनकी मांग थी कि जब तक श्रीलंका   द्वारा गिरफ्तार किए गए भारतीय मछुवारों को रिहा नहीं किया जाता तब तक वे ऐसे किसी समारोह में भाग नहीं लेंगे। कूटनीतिक गलियारों में यह कहा जा रहा कि इस समुद्रीय क्षेत्र में माले के बाद श्रीलंका दूसरा देश हैं, जो ऐसे मुद्दों  पर भारत को आंखें दिखने की कोशिश कर रहा है।

Read More अक्षय तृतीया: अक्षय फल का चमत्कारी महापर्व

Post Comment

Comment List

Latest News

घरेलू श्रेणी में बिजली की एक हजार मेगावाट की डिमांड बढ़ी घरेलू श्रेणी में बिजली की एक हजार मेगावाट की डिमांड बढ़ी
बिजली कंपनियों को फिलहाल थर्मल, सोलर और अन्य उत्पादन इकाइयों से बिजली उपलब्ध हो रही है। थर्मल कम्पनियों के पास...
Finance Commission की किश्तों पर सरपंचों में नाराजगी, लोकसभा चुनाव बाद हो पाएगा भुगतान
डॉ. कमला बेनीवाल को राजकीय सम्मान नहीं मिलने पर भजनलाल सरकार पर भड़के डोटासरा
दवाओं की वजह से कोई परेशान नहीं हो : नेहा गिरी
चारागाह भूमि पर बने 150 मकान तोड़ रहा प्रशासन; डोटासरा, पायलट ने उठाए भजनलाल सरकार पर सवाल
धोनी से संन्यास की खबरों पर बोले कोच माइकल हसी - अभी कुछ साल और आईपीएल खेल सकते हैं धोनी
Stock Market Update : शेयर बाजार ने लगाई ऊंची छलांग