चीन की हरकतों से भारत सतर्क रहे

चीन की हरकतों से भारत सतर्क रहे

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक ओर वह अपने गिरती अर्थव्यवस्था के बावजूद अपने रक्षा बजट में इजाफा करता जा रहा है।

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक ओर वह अपने गिरती अर्थव्यवस्था के बावजूद अपने रक्षा बजट में इजाफा करता जा रहा है। तो दूसरी ओर भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने की बजाय उलझाने की फितरत में रहता है। इस बार तो उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल के दौरे पर आपत्ति जताकर हद ही कर दी। उसका दावा है कि यह इलाका विवादित क्षेत्र है। उसकी तिलमिलाहट तो तब और ज्यादा बढ़ गई जब अमेरिका ने भी अरुणाचल को भारत का भू-भाग बताया। इस पर चीन ने अमेरिकी मान्यता पर आपत्ति जताते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के मुद्दे से अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है। उलटे उसने अमेरिका को सलाह  दी कि वह अपने भू-राजनीतिक हितों को साधने के लिए दूसरे देशों के बीच विवादों को तूल न दे।

यहां बता दें कि इसी माह प्रधानमंत्री मोदी ने ईटानगर का दौरा कर 55 हजार 600 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सेला सुरंग भी शामिल है। यह सुरंग अरुणाचल के तवांग तक संपर्क उपलब्ध कराएगी। इससे बारिश और बर्फ बारी समेत हर मौसम में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) तक सैनिकों की पहुंच आसान होगी। इस सुरंग की नींव 2019 में रखी गई थी। चार साल की अवधि में इसके निर्माण पर 825 करोड़ की लागत आई है। सिर्फ यही नहीं मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों को दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के बीच व्यापार, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी भी बताया। इसके सतत विकास को जारी रखने के कार्यों को मोदी की गारंटी से भी जोड़ा।  इसके बाद चीन की ओर से मोदी की यात्रा को लेकर आपत्ति जताई गई थी। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने उसकी आपत्ति को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अरुणाचल भारत का हिस्सा है और सदैव रहेगा। इस क्रम में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख प्रवक्ता वेदांत पटेल ने बयान जारी किया था कि अमेरिका अरुणाचल को भारत का हिस्सा  मानता है। यहां किसी भी तरह की घुसपैठ गलत है और हम वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास सैन्य नागरिक घुसपैठ से किसी क्षेत्र पर होने वाले दावों को एकतरफा मानते हैं।

आश्चर्य तो यह है कि चीन ने अरुणाचल के दो भूमि क्षेत्रों, दो रिहायशी इलाकों, दो नदियों और पांच पर्वतीय चोटियों के नए नामों की बाकायदा एक सूची भी जारी की है। वर्ष 2017 में इस क्षेत्र के छह नामों और वर्ष 2021 में 15 स्थानों और राज्य का नाम भी अलग दे दिया है। उसे वह तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा बताने हुए उस पर अपने हक का दावा करता है। चीन ने तिब्बत को कभी स्वतंत्र देश नहीं माना है। वर्ष 1950 में उसने तिब्बत को अपने इलाके में शामिल कर लिया था। वर्ष 1962 में भारत से युद्ध किया। लेकिन तवांग क्षेत्र से वह पीछे हट गया था।

हाल ही चीन ने अपने वार्षिक बजट (2024-25) में रक्षा मद में 7.2 फीसदी बढ़ोतरी की है। कुछ वर्षों से उसका यह  रवैया कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस वृद्धि को कम भी नहीं माना जा सकता। विशेषज्ञों के अनुसार चीन रक्षा मद में जितना ज्यादा खर्च बता रहा है, वास्तविक रूप में वह कहीं ज्यादा ही होगा। कारण रक्षा से जुड़े बहुत सारे खर्च वह अन्य मदों में दिखाता है। रक्षा खर्च में इस बढ़ोतरी का निर्णय वह ऐसी स्थिति में कर रहा है जब उसकी अर्थ-व्यवस्था कठिनाई के दौर में है। इसके बावजूद उसके रक्षा बजट में बढ़ोतरी उसकी प्राथमिकता की ओर इशारा कर रही है। कहीं न कहीं इस निर्णय के पीछे इसकी आक्रामक नीति को प्रतिबिंबत करती है। इसका ताजा उदाहरण चीन सरकार की ओर से जारी वह रिपोर्ट जिसमें ताइवान के संदर्भ में शांतिपूर्ण एकीकरण का पारंपरिक वाक्यांश हटा दिया गया है।  वहीं उसकी सैन्य बजट बढ़ोतरी की तुलना अमेरिका और जापान के सैन्य खर्च की बढ़ोतरी से करते हैं तो उसका तार्किक महत्व समझ में आता है। लेकिन यदि भारत के परिपेक्ष्य में गौर करें तो यह एक नई चुनौती के रूप में दिखाई देती है। चार साल पहले लद्दाख से लगती सीमा पर दोनों पक्षों के बीच हुई झड़प के बावजूद सीमा पर तनाव जारी है। विभिन्न स्तर पर हुई कई दौर की वार्ताओं के बावजूद तनाव में कोई कमी नहीं आई है। 

Read More International Nurses Day : इंसानी सेवा की अथक मिसाल हैं नर्सें

लद्दाख और उत्तराखंड से लगती सीमा पर चीन के 50 से 60 हजार और सिक्किम व अरुणाचल से लगती सीमा पर 90 हजार सैनिक अभी भी तैनात हैं। भारत की घेरेबंदी के हर तरह के निरंतर प्रयास करता रहता है। पाकिस्तान को भारी सैन्य सहायता देकर भारत पर दोनों अंतरराष्ट्रीय सीमाओं (एलओसी और एलएसी) पर दबाव बनाए रखने की उसकी नीति अब स्थायी हिस्सा बन चुकी है। 

Read More पेयजल का संकट: पानी बचेगा तभी बचेगा जीवन

 

Read More अक्षय तृतीया: अक्षय फल का चमत्कारी महापर्व

 

Read More अक्षय तृतीया: अक्षय फल का चमत्कारी महापर्व



Post Comment

Comment List

Latest News

घरेलू श्रेणी में बिजली की एक हजार मेगावाट की डिमांड बढ़ी घरेलू श्रेणी में बिजली की एक हजार मेगावाट की डिमांड बढ़ी
बिजली कंपनियों को फिलहाल थर्मल, सोलर और अन्य उत्पादन इकाइयों से बिजली उपलब्ध हो रही है। थर्मल कम्पनियों के पास...
Finance Commission की किश्तों पर सरपंचों में नाराजगी, लोकसभा चुनाव बाद हो पाएगा भुगतान
डॉ. कमला बेनीवाल को राजकीय सम्मान नहीं मिलने पर भजनलाल सरकार पर भड़के डोटासरा
दवाओं की वजह से कोई परेशान नहीं हो : नेहा गिरी
चारागाह भूमि पर बने 150 मकान तोड़ रहा प्रशासन; डोटासरा, पायलट ने उठाए भजनलाल सरकार पर सवाल
धोनी से संन्यास की खबरों पर बोले कोच माइकल हसी - अभी कुछ साल और आईपीएल खेल सकते हैं धोनी
Stock Market Update : शेयर बाजार ने लगाई ऊंची छलांग