दूसरे फेज की आधा दर्जन सीटों पर कांटे की टक्कर, कांग्रेस का अधिक मतदान कराने का प्लान
लोगों को मतदान बूथों तक पहुंचाया जा सके
पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों की टीम को खासकर शहरी क्षेत्रों में अधिक लोगों तक पहुंचकर वोट डलवाने का प्लान तैयार किया गया है।
जयपुर। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 13 सीटों पर प्रचार थमने के बाद कांग्रेस अपने वोट बैंक को अधिक से अधिक संख्या में मतदान बूथों तक पहुंचाने की रणनीति में जुट गई है। पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों की टीम को खासकर शहरी क्षेत्रों में अधिक लोगों तक पहुंचकर वोट डलवाने का प्लान तैयार किया गया है। भाजपा के बूथ स्तर तक वोटिंग बढ़ाने के मैनेजमेंट के बाद कांग्रेस भी दूसरे फेज में अधिक सक्रिय नजर आ रही है। पहले फेज में कम वोटिंग के बाद सतर्क हुई कांग्रेस दूसरे फेज में अपने प्रत्याशियों को कम वोटिंग नहीं चाहती। कांग्रेस रणनीतिकार अब पार्टी समर्थक मतदाताओं को अधिक वोट डलवाने पर जोर दे रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी संगठन के लोगों को अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों को कांग्रेस के पक्ष में वोट डलवाने की जिम्मेदारी दी गई है। जिलों में वार्ड, मंडल, बूथ, ब्लॉक अध्यक्षों सहित जिला और प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि लोगों को अधिक से अधिक बूथ तक पहुंचाएं। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने भी टीम को टास्क दिया है कि मतदान शुरू होने से लेकर समाप्त होने तक संगठन नेताओं को सक्रिय रखा जाए। सभी संगठन पदाधिकारियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं को फोन कर लगातार निर्देश दिए जाएं, ताकि अधिक लोगों को मतदान बूथों तक पहुंचाया जा सके।
कांटे वाली सीटों पर फोकस
कांग्रेस ने 13 सीटों में से कांटे वाली टक्कर सीटों को चिन्हित कर वोट डलवाने की रणनीति बनाई है। जैसलमेर-बाड़मेर, डूंगरपुर-बांसवाड़ा, जालोर-सिरोही, जोधपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, टोंक-सवाईमाधोपुर और कोटा सीटों पर कांग्रेस ने कांटे की टक्कर मानी है। इन सीटों पर रोचक मुकाबला मानते हुए अधिक मतदान की रणनीति बनाई है। इनमें से कुछ सीटों पर दिग्गज नेताओं में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व विधानसभा स्पीकर डॉ.सीपी जोशी, कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट जैसे नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। नेताओं का इस बार ग्रामीण बूथों के साथ ही शहरी बूथों पर भी अधिक फोकस बना हुआ है।
कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट बनेगी
अधिक मतदान के लिए नेताओं ने अपने समर्थकों और संगठन पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपकर सक्रिय किया है। साथ ही, मॉनिटरिंग तेज करते हुए ऐसे निष्क्रिय नेता-कार्यकर्ताओं की सूची भी बनाई जा रही है, जो चुनाव प्रचार के दौरान निष्क्रिय रहते हुए गुटबाजी के चलते केवल बाहरी तौर पर समर्थन देते हुए नजर आए। ऐसे कांग्रेसियों की जानकारी आलाकमान स्तर पर भेजकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुमति मांगी जाएगी।
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